सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 2025: गिरफ्तारी से 2 घंटे पहले लिखित कारण देना अनिवार्य

Published by Delhi Law Firm®
Website: www.delhilawfirm.news

6 नवंबर 2025 को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया जिसने पूरे देश की गिरफ्तारी प्रक्रिया को नए सिरे से परिभाषित कर दिया। यह ऐतिहासिक आदेश मिहर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य (2025) केस में आया।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब पुलिस को आरोपी को रिमांड पर पेश करने से कम से कम 2 घंटे पहले गिरफ्तारी का लिखित कारण देना अनिवार्य होगा।

यह नियम अब पूरे भारत में, हर अपराध और सभी जांच एजेंसियों पर लागू होगा—चाहे मामला पहले IPC के तहत था या अब BNS (भारतीय न्याय संहिता) 2023 के तहत आता हो।


🔹 यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

कई मामलों में आरोपी यह दावा करते थे कि उन्हें गिरफ्तारी का वास्तविक कारण नहीं बताया गया। इससे उनका बचाव कमजोर हो जाता था और न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसे संवैधानिक अधिकार घोषित कर दिया।

यह फैसला सीधे तौर पर संविधान के:

  • अनुच्छेद 21 — जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 22(1) — गिरफ्तारी का कारण बताने का अधिकार

को मजबूत करता है। अब गिरफ्तारी का लिखित कारण देना सिर्फ प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक अनिवार्य कानूनी अधिकार है।


🔹 फैसले के मुख्य बिंदु

1. हर गिरफ्तारी में लिखित कारण अनिवार्य

अब चाहे मामला कितना भी छोटा या बड़ा हो — चोरी, साइबर अपराध, दुर्घटना, आर्थिक अपराध या कोई भी अन्य — पुलिस को लिखित दस्तावेज़ देना ही होगा।

2. भाषा वही हो जो आरोपी समझ सके

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिखित कारण ऐसी भाषा में होनी चाहिए जिसे आरोपी समझता हो — चाहे वह हिंदी, अंग्रेज़ी या कोई क्षेत्रीय भाषा हो।

3. “2 घंटे का नियम” रिमांड से पहले

लिखित कारण रिमांड पर पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले देना होगा ताकि आरोपी:

  • आरोप समझ सके
  • वकील से सलाह ले सके
  • जमानत या रिमांड पर अपनी दलीलें तैयार कर सके
  • एकतरफा रिमांड सुनवाई से बच सके

4. आपातकालीन स्थिति में छूट, लेकिन अस्थायी

अगर आरोपी रंगे हाथों पकड़ा गया हो या सबूत नष्ट होने का खतरा हो, तब मौखिक कारण बताया जा सकता है।
लेकिन लिखित कारण देना फिर भी अनिवार्य है — रिमांड से पहले।

5. नियम का उल्लंघन = गिरफ्तारी अवैध

अगर पुलिस समय पर लिखित कारण नहीं देती, तो गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जा सकता है और आरोपी को रिहा किया जा सकता है।


🔹 देशभर पर इसका प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यह फैसला भेजा जाए:

  • सभी हाईकोर्ट्स को
  • सभी राज्यों के गृह सचिवों को
  • सभी पुलिस विभागों को
  • CBI, ED, NIA समेत सभी जांच एजेंसियों को

इससे पूरे देश में गिरफ्तारी प्रक्रिया और अधिक:

  • पारदर्शी
  • जवाबदेह
  • कानूनी रूप से सुदृढ़

बनेगी।


🔹 पारदर्शी पुलिसिंग की दिशा में बड़ा कदम

इस फैसले ने भारत में Due Process यानी विधिसम्मत प्रक्रिया के मानकों को मजबूत किया है।
अब नागरिक बेहतर तरीके से अपने अधिकार समझ सकेंगे और पुलिस प्रक्रियाएँ अधिक जिम्मेदार बनेंगी।


अधिक कानूनी अपडेट के लिए:

👉 www.delhilawfirm.news

Delhi Law Firm® आपके कानूनी अधिकारों को समझाने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है।